ग़ालिब की शायरी में हर शब्द एक गहरी भावना समेटे हुए है, जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। यह लेख प्रस्तुत करता है Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi, जो आपके दिल को छू जाएगी। हम यहाँ zindagi mirza ghalib shayari in hindi के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालेंगे, और आपको दिखाएंगे कि कैसे mirza ghalib ki shayari हमें सिखाती है कि प्रेम और दुःख दोनों ही जीवन के अनिवार्य हिस्से हैं।
इस संग्रह में शामिल हैं शानदार love mirza ghalib shayari in hindi और sad mirza ghalib shayari, जो आपको भावनाओं के समुद्र में ले जाएंगी।
You can also read: love shayari in Urdu and English
Ghalib Shayari

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
ज़िंदगी से यही शिकवा है हर पल,
कि जो मिला नहीं वो ही सबसे ज्यादा पसंद निकले।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब,
जो लगाए न लगे और बुझाए न बने।
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार,
या इलाही ये माजरा क्या है।
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के बहलाने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
Mirza Ghalib Shayari
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
हर वक्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे,
तू भी कभी सोच, तुझमें भी कोई ग़म होगा।
कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
मौत का एक दिन मुअय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती।
तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान,
झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त,
दर्द से भर न आए क्यों।
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
इमाँ मुझे रोके है तो खींचे है मुझे कुफ़्र,
काबा मेरे पीछे है, कलीसा मेरे आगे।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं, ये वो आतिश ग़ालिब,
जो लगाए न लगे और बुझाए न बने।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
Ghalib ki Shayari

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
जो तुझ बिन नहीं जी सकते,
हम वो लोग हैं जो मर के भी तेरे नहीं हो पाए।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल को बहलाने का ग़ालिब ये खयाल अच्छा है,
जन्नत की हक़ीक़त क्या है?
हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन,
ख़ाक हो जाएंगे हम तुमको ख़बर होने तक।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त,
दर्द से भर न आए क्यों।
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
किसी की मुस्कुराहटों में थी ज़िंदगी हमारी,
उसी के ग़म में हमने खुद को खो दिया।
वफ़ा के नाम पे खुद को मिटा दिया हमने,
ग़ालिब के अशआर में जी लिया हमने।
तेरा ज़िक्र जब भी किया,
हर मिसरे में खुद को पा लिया हमने।
Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi
इश्क़ की सज़ा भी मिली और तमाशा भी हुआ,
ग़ालिब के शेरों में हर दर्द बयाँ हुआ।
जिसे पाया नहीं हमने उम्र भर,
उसी का नाम हर साँस में समा गया।
ग़ालिब के अशआर दिल को छू जाते हैं,
हर लफ़्ज़ में जैसे कोई आईना दिखाते हैं।
ये शायरी नहीं महज़ अल्फ़ाज़ हैं,
जिनमें हम अपना गुज़रा वक़्त पाते हैं।
दर्द जब कलम से निकला ग़ालिब की तरह,
हर अल्फ़ाज़ एक ज़ख्म बन गया।
जिसे लोग महज़ शायरी कहते हैं,
वो मेरी ज़िंदगी की दास्तान बन गया।
कुछ इस अदा से ग़ालिब ने दर्द को बयान किया,
कि ज़ख्म भी रो पड़े और दिल मुस्कुरा दिया।
उनके कलाम में जो सच्चाई थी,
वो आज भी हर दिल को हिला दिया।
ग़ालिब का नाम हो और दिल न धड़के,
ऐसा तो मुमकिन नहीं।
उनकी शायरी में जो जादू है,
वो और कहीं नहीं।
Ghalib Shayari in Hindi

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
कुछ दर्द थे जो बयान न हो सके,
बस वही थे जो मेरी रूह से निकलते थे।
न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
तेरा ना होना भी क्या कमाल है,
तू पास होते हुए भी हर हाल में दूर होता।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
इश्क़ में जीना मुश्किल है ‘ग़ालिब’,
पर मरने की तमन्ना भी अब सताए क्यों।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता।
तेरे जाने का ग़म कुछ इस तरह सहा हमने,
कि ज़िंदगी का हर पल सवाल होता।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं, ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
दिल जलता रहा तेरी यादों में,
पर कोई आहट न आई तेरे नाम की।
Ghalib Shayari in Urdu
Ishq ne Ghalib naakaam kar diya,
Har khushi se dil ko khaali kar diya.
Jis raah pe chala tha khudi ke liye,
Usi raah ne mujhe behaal kar diya.
Bazm mein tanha tha, tanha mein bazm thi,
Ghalib ki har baat mein kuch khas si jazb thi.
Na tha koi humsafar, na thi koi manzil,
Phir bhi har mod par ek dard saaz thi.
Dil dhoondhta hai phir wahi fursat ke raat din,
Ghalib ke alfaz jese raaz bhare seheen.
Na tha kuch toh khuda tha, kuch na hota toh khuda hota,
Duboya mujhko hone ne, na hota main toh kya hota.
Kaha Ghalib ne sach, ishq asaan nahi,
Jism se rooh tak ka ye safar armaan nahi.
Jisne bhi chaha dard hi paaya,
Woh mohabbat thi ya koi imtihaan nahi.
Aansuon ka silsila bhi ab thamta nahi,
Gham-e-dil ka ye fasana kabhi khatam hota nahi.
Ghalib ki tarah hum bhi hairaan hain khud pe,
Zindagi se koi shikwa bhi ab banta nahi.
Mirza Ghalib Shayari in Hindi

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।
दिल की बात जुबां तक लाने की कोशिश की,
मगर तेरी ख़ामोशी में ही आरज़ू क्या है।
दर्द का रिश्ता बहुत पुराना निकला,
हर खुशी से ये बेगाना निकला।
ग़ालिब की शायरी जब पढ़ी हमने,
तो अपना ही अफ़साना निकला।
हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यों न ग़र्क-ए-दरिया,
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता।
इस इश्क़ की गलियों में कोई मोड़ नहीं,
जो गया वो वापस न आया, ये ही इतिहास होता।
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
ग़ालिब की तर्ज़ में कुछ कहने लगा हूं मैं,
हर लफ़्ज़ अब अशआर सा लगने लगा है।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
इश्क़ ने भी हमको आज़माया बहुत,
पर हमने हर ग़म को गले से लगाया बहुत।
Ghalib Shayari on Love in Urdu
عشق نے غالب کو ناکام کر دیا،
ہر خوشی کو زخم کھا کر دیا۔
دل کی ہر بات محبت تھی،
اور اُس محبت کو چھپ کر دیا۔
محبت کا سفر بھی عجیب تھا،
غالب کی دعا بھی قسیم تھا۔
جو پیار میں تھا، اُس کی زندگی میں،
ہر خوشی کا رنگ بھی پیار کا تھا۔
ہر ایک راہ میں اُس کا ہی چہرہ تھا،
جو غالب نے اپنے دل میں بسایا تھا۔
محبت کی درد بھری راہ میں،
ہر موڑ پہ اُس کا ہی نام تھا۔
محبت کو محبت سے سمجھا تھا غالب،
پر یہ نہ سمجھ پایا کہ یہ خوشیوں کا سفر ہے۔
دل کی بات جو کہ نہ سکے،
وہ شاعری کی کس تکرا ہے۔
تم سے جدا ہو کر غالب نے جانا ہے،
پیار کے جذبات کبھی کم نہیں ہوتے۔
جس نے دل سے اُسے چاہا تھا،
وہ دل کبھی اُس کا تھا نہیں۔
Ghalib Shayari on Love

इश्क़ ने ग़ालिब बर्बाद कर दिया,
हर खुशी को ग़म में तब्दील कर दिया।
जिसे चाहा उसी ने रुला दिया,
और हमारी तन्हाई को मसीहा बना दिया।
इश्क़ वो दरिया है जिसमें डूब कर भी,
प्यास बुझती नहीं ग़ालिब।
हर लहर एक सज़ा सी लगती है,
और किनारा भी मंज़िल नहीं होता।
दिल दिया उसको जिसने तोड़ा हर बार,
ग़ालिब की तरह बस इश्क़ को पूजा बारम्बार।
जो समझ न सका दिल का आलम,
उसने ही दिल को सबसे ज़्यादा ज़ख़्म दिया।
उसकी यादों का मौसम कुछ ऐसा आया,
हर लम्हा बस ग़ालिब याद आया।
इश्क़ किया था दिल से हमने,
पर उसने हर ख्वाब अधूरा कर जाया।
ग़ालिब कहते हैं इश्क़ आसान नहीं,
बस इतना समझ लो आग का दरिया है।
डूब जाना ही नसीब होता है यहां,
वरना किनारे पर सब तैरना जानते हैं।
Mirza Ghalib ki Shayari
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं, ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता।
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
डरता हूं देख कर दुनिया की बेरुखी ‘ग़ालिब’,
कि अब मोहब्बतों में भी सौदागर निकलते हैं।
कुछ इस तरह तेरी पलकों पे सजा रखा है,
तेरे ख्वाबों को आंखों में बसा रखा है।
तू चले भी जाए अगर दूर हमसे,
तेरी यादों को दिल में जिंदा रखा है।
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
Final Words:
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी ने न केवल प्रेम बल्कि जीवन के हर पहलू को स्पर्श किया है। Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi में उनकी कविताएँ हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करती हैं। Zindagi mirza ghalib shayari in hindi में वे जीवन की कठिनाइयों और खुशियों को खूबसूरती से दर्शाते हैं। उनकी mirza ghalib ki shayari हमें अपने भावनाओं के साथ जुड़ने का अवसर देती है, चाहे वह प्यार हो या दुख।
Love mirza ghalib shayari in hindi में उनकी प्रेम की अनुभूति अद्वितीय होती है, जबकि sad mirza ghalib shayari हमें जीवन के अंधेरे पक्षों को भी समझाने में मदद करती है। इस प्रकार, ग़ालिब की शायरी को पढ़ना एक अविस्मरणीय अनुभव है, जिसे हर किसी को एक बार जरूर करना चाहिए।