New 220+ Samandar Shayari 2 Line in Hindi

sad shayari

By Muhammad Ijaz

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Samandar Shayari 2 Line in Hindi

The beauty of the sea has inspired countless poets and writers for centuries. In this article, we explore Samandar Shayari 2 lines in Hindi that capture the essence of oceanic beauty and emotion. These short yet powerful verses not only evoke deep feelings but also serve as a reminder of nature’s immense splendor. By diving into this collection, you’ll discover the perfect expressions to share your love for the sea and its vast mysteries.

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Samandar Shayari 2 Lines

 

समंदर की गहराई में हर दर्द छिपा होता है
कभी यह शांत तो कभी तूफान सा खफा होता है..!!!

 

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा

 

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

 

सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
कि खेल ख़त्म हुआ कश्तियाँ डुबोने का

 

बातचीत में आला हो बस ठीक न हो
फ़ायदा क्या महबूब अगर बारीक न हो

 

एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ
आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख

 

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

 

वो इतना शांत दरिया था मगर जब
गया तो ले गया सब कुछ बहा के

 

तूफ़ानों से आँख मिलाओ सैलाबों पे वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो

 

ख़ुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वो कतरा हूँ समंदर मेरे घर आता है

 

चल दिए घर से तो घर नहीं देखा करते
जाने वाले कभी मुड़ कर नहीं देखा करते

 

यहाँ तुम देखना रुतबा हमारा
हमारी रेत है दरिया हमारा

 

ये आग वाग का दरिया तो खेल था हम को
जो सच कहें तो बड़ा इम्तिहान आँसू हैं

 

हमने तुझ पे छोड़ दिया है
कश्ती, दरिया, भँवर, किनारा

 

कोई समंदर, कोई नदी होती कोई दरिया होता
हम जितने प्यासे थे हमारा एक गिलास से क्या होता

 

`तू मेरे पास आ कर बैठ मुझसे बात कर ऐ दोस्त
ये मुमकिन है कोई दरिया ख़राबों से निकल आये

 

लब-ए-दरिया पे देख आ कर तमाशा आज होली का
भँवर काले के दफ़ बाजे है मौज ऐ यार पानी में

 

रात के जिस्म में जब पहला पियाला उतरा
दूर दरिया में मेरे चाँद का हाला उतरा

 

कभी दरिया में जिनकी कश्तियाँ थी
वही अब साहिलों पे रो रहे हैं

 

इक और दरिया का सामना था ‘मुनीर’ मुझ को
मैं एक दरिया के पार उतरा तो मैं ने देखा

 

सदियों से किनारे पे खड़ा सूख रहा है
इस शहर को दरिया में गिरा देना चाहिए

 

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा

 

प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं जानू वरना
तू समंदर है तो होगा मेरे किस काम का है

 

मंज़र बना हुआ हूँ नज़ारे के साथ मैं
कितनी नज़र मिलाऊँ सितारे के साथ मैं

 

कोई कहता था समुंदर हूँ मैं
और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं

 

कोई समुन्दर, कोई नदी होती, कोई दरिया होता
हम जितने प्यासे थे हमारा एक गिलास से क्या होता?

 

तुम ने किया है तुम ने इशारा बहुत ग़लत
दरिया बहुत दुरुस्त किनारा बहुत ग़लत

 

मुहब्बत आपसे करना कभी आसाँ नहीं था पर
बिना कश्ती के दरिया पार करना शौक़ है मेरा

 

दरिया की वुसअतों से उसे नापते नहीं
तन्हाई कितनी गहरी है इक जाम भर के देख

 

जब से वो समन्दर पार गया
गोरी ने सँवरना छोड़ दिया

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Samandar Love Shayari

 

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा !

 

हम थे दर्द के मारे बैठे समुन्दर किनारे
कोई न था हमारा हम थे खुद के सहारे !

 

लकीरें अपने हाथों की बनाना
हमको आता है
वो कोई और होंगे अपनी
किस्मत पे जो रोते हैं !

 

हवाओं को पता था मैं
जरा मजबूत टहनी हूँ
यही सच आँधियों ने अब
हवाओं को बताया है !

 

इलाही कश्ती-ए-दिल बह रही है
किस समंदर में
निकल आती हैं मौजें हम
जिसे साहिल समझते हैं !

 

मैंने अपनी ख़ुश्क आंखों
से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था
मुझ को पानी चाहिए !

 

हम समंदर है हमें खामोश रहने दो
जरा मचल गए तो शहर ले डूबेंगे !

 

जर्फ पैदा कर समंदर की तरह
वसअतै खामोशियां गहराईयां।

 

मैं दरिया भी किसी गैर के हाथों से न लूं
एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे !

 

रख हौंसला के वो मंज़र भी आएगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा !

 

सफ़र में मुश्किलें आयें तो
जुर्रत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके
तो हिम्मत और बढ़ती है

 

हूरों की तलब और मय
ओ सागर से नफ़रत
जाहिद तेरे इरफान से
कुछ भूल हुई है !

 

पंखों को खोल कि ज़माना
सिर्फ उड़ान देखता है
यूँ जमीन पर बैठकर
आसमान क्या देखता है !

 

ख़ुदा बदल न सका आदमी
को आज भी यारो
और अब तक आदमी ने
सैकड़ों ख़ुदा बदले।

 

कितने ही लोग प्यास की
शिद्दत से मर चुके
मैं सोचता रहा के समंदर कहाँ गये !

 

खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है !

 

मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में
मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं!

 

होता होगा तुम्हारी दुनियाँ में गहरा समंदर
हमारे यहाँ इश्क़ से गहरा कुछ भी नहीं !

 

आओ सजदा करें आलमे मदहोशी में
लोग कहते हैं कि सागर को खुदा याद नहीं।

 

कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा!

 

समंदर की तरह पहचान है हमारी
उपर से खामोश अंदर से तुफान

 

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!

 

नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें
साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ !

 

तू समन्दर है तो क्यूँ आँख दिखाता है मुझे
और से प्यास बुझाना अभी आता है मुझे!

 

वो बहने के लिये कितना
तड़पता रहता है लेकिन
समंदर का रुका पानी कभी
दरिया नहीं बनता !

 

जिसको देखूँ तेरे दर का पता पूछता है
क़तरा क़तरे से समंदर का पता पूछता है!

 

उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था !

 

दर्द का समंदर जब आँखों में उतर आता है
तभी तो इंसान जिंदगी में कामयाबी को पाता है!

 

कोई अपनी ही नजर से तो हमें देखेगा
एक कतरे को समन्दर नजर आयें कैसे !

 

सब हवाएं ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया

 

क़दम दर क़दम ज़िन्दगी दौरे इम्तिहान है
कहीं सहरा कहीं समन्दर कहीं गर्दिशे अय्याम है!

 

ना जाने कौन मेरे हक़ में दुआ पढता है
डूबता भी हूँ तो समंदर उछाल देता है!

 

ग़मों के नूर में लफ़्जों को ढालने निकले
गुहरशनास समंदर खंगालने निकले!

 

छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा
देर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं !

 

वक्त ढूँढ रहा था मुझे हाथों में खंजर लिए
मैं छुप गई आईने में आँखों में समंदर लिए ।

 

कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर!

 

डूबता देखकर समंदर भी हैरान था
मेरे होठों पर उस बेवफ़ा का नाम था!

 

कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है
किसी के साथ दरिया जा रहा है!

 

कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा

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समुद्री लहरों पर शायरी Attitude

 

उसको था शौक बीच समंदर में मरने का
साहिल को खींच खींच के लाना पड़ा मुझे

 

हल करने से डरता हूँ
सब आसान सवालों को

 

आँसू आँसू जिस ने दरिया पार किए
क़तरा क़तरा आब में उलझा बैठा है

 

हर एक लफ़्ज़ के तेवर ही और होते हैं
तेरे नगर के सुख़नवर ही और होते हैं

 

आपने मुझको डबोया है किसी और जगह
इतनी गहराई कहां होती है दरिया में

 

उदासी इक समंदर है कि जिसकी तह नहीं है
मैं नीचे और नीचे और नीचे जा रहा हूँ

 

हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे हो
लगता है कभी तुम ने समुंदर नहीं देखा

 

तुमको हम ही झूठ लगेंगे लेकिन दरिया झूठा है
पहले हमको चाँद मिला था फिर दरिया को चाँद मिला

 

जो उस तरफ़ से इशारा कभी किया उस ने
मैं डूब जाऊंगा दरिया को पार करते हुए

 

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को

 

क्या दुख है समंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता

 

दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है
डूब के देखो कितना प्यासा लगता है

 

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता

 

मिल जाऊँगा दरिया में तो हो जाऊँगा दरिया
सिर्फ़ इसलिए क़तरा हूँ कि मैं दरिया से जुदा हूँ

 

बहर से ख़ारिज हूँ ये मालूम है
पर तुम्हारी ही ग़ज़ल का शेर हूँ

 

ज़िन्दगी पर लिख दिया था नाम मैंने राम का
और फिर दुःख के समुंदर पार सारे हो गए

 

बस टूटी कश्ती ही बतला सकती है
इक दरिया की कितनी शक्लें होती हैं

 

समन्दर में भी सहरा देखना है
मुझे महफ़िल में तन्हा देख लेना

 

जाने किस किस का ख़याल आया है
इस समुंदर में उबाल आया है

 

इक मुहब्बत से भरी उस ज़िंदगी के ख़्वाब हैं
पेड़ दरिया और पंछी तेरे मेरे ख़्वाब हैं

 

मैं हूँ सदियों से भटकता हुआ प्यासा दरिया
ऐ ख़ुदा कुछ तो समंदर के सिवा दे मुझ को

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Samandar Shayari in Hindi

 

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

 

दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना

 

उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था

 

छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा
देर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं

 

नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें
साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ

 

बंद हो जाता है कूज़े में कभी दरिया भी
और कभी क़तरा समुंदर में बदल जाता है

 

रक्खी हुई है दोनों की बुनियाद रेत पर
सहरा-ए-बे-कराँ को समुंदर लिखेंगे हम

 

चमक रहा है ख़ेमा-ए-रौशन दूर सितारे सा
दिल की कश्ती तैर रही है खुले समुंदर में

 

कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर

 

समुंदर अदा-फ़हम था रुक गया
कि हम पाँव पानी पे धरने को थे

 

अपने लहू से प्यास बुझानी है ता-हयात
अब रास्ते में कोई समुंदर न आएगा

 

आप सागर हैं तो सैराब करें प्यासे को
आप बादल हैं तो मुझ दश्त पे साया कीजिए

 

मैं घर बसा के समुंदर के बीच सोया था
उठा तो आग की लपटों में था मकान मिरा

 

नाख़ुदा है मौत जो दम है सो है बाद-ए-मुराद
अज़्म है कश्ती-ए-तन को बहर-ए-हस्ती यार का

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Intezaar Samandar Shayari

 

जो इसे समझे वही इसका सही सार जानता है
बाहर से दिखे जो शांति अंदर का
समंदर इंसान समझता है..!!!

 

समंदर से सीखा है मैंने जीने का तरीका
चुपचाप बहना और अपनी ही मौज में रहना
यही है जिंदगी जीने का गैहना..!!

 

मोहब्बत करने वाला
ज़िन्दगी भर कुछ नहीं करता
यह दरिया शोर करता है
समंदर कुछ नहीं कहता !!

 

दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना !

 

उड़ेल कर सारी की सारी
शराब को अपने अंदर
कहता था हमेशा हर
एक को कि मैं हूं वो समंदर.!!

 

मोहब्बत करने वाला
ज़िन्दगी भर कुछ नहीं करता
यह दरिया शोर करता है
समंदर कुछ नहीं कहता !!

 

रख हौंसला के
वो मंज़र भी आएगा
प्यासे के पास चलकर
समंदर भी आएगा !!

 

सुना है आज समंदर को
बड़ा गुमान आया है
उधर ही ले चलो कश्ती
जहां तूफान आया है !!

 

अधूरी रहें इश्क की दास्तान
वहीं चाहत कहलाती है
समंदर से मिलनें के बाद तो
नदी भी समंदर कहलाती है !!

 

कह दो समुद्र से की
लहरों को संभाल कर रखे
जिंदगी मैं तूफ़ान लाने के लिए
मेरा दिल ही काफी है !!

 

बड़े लोगो से मिलने में
हमेशा फासला रखना
जहाँ दरिया समंदर में मिला
दरिया नहीं रहता !!

 

हादसे कुछ दिल पे
ऐसे हो गए
हम समंदर से भी
गहरे हो गए !!

 

ये अश्के आरज़ू हैं
बहेंगे इसी तरह
ये वो नदी नहीं
जो बढ़ी और उतर गई !!

 

शायद नदी थी
उसको समंदर नहीं मिला
मंज़िल की चाह में
वो भटक कर चली गई !!

 

मैं दरिया भी
किसी गैर के हाथों से न लूं
एक कतरा भी
समन्दर है अगर तू देदे !!

 

सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है !

 

कतरा होने की शोहरत
कोई मुझसे पूछे
मैंने अपने लिये समुंदर को
परेशान देखा है !

 

बस यही सोच कर हर मुश्किल
से लड़ता रहा हूँ
धूप कितनी भी तेज़ हो
समन्दर नहीं सूखा करते !

 

दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना !

 

समंदर में फना होना तो
किस्मत की बात है
जो मरते हैं किनारों पे
दुःख उनपे होता है

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Our collection of samandar shayari 2 lines celebrates the beauty and depth of the ocean through poetic expressions. These short verses capture the essence of nature, emotion, and longing, resonating with anyone who has felt a connection to the sea. Each couplet is crafted to evoke vivid imagery, making them perfect for sharing with friends or on social media. Dive into this rich collection and let the waves of inspiration wash over you. Explore the power of words and let these shayari bring a sense of peace and reflection into your life.

 

Sad Shayari

Muhammad Ijaz