Responsibilities can sometimes feel overwhelming, yet they also bring meaning to our lives. With Jimmedari Shayari, we can beautifully capture the essence of these duties and the emotions they evoke. In this article, we delve into a fresh collection of over 150 Jimmedari Shayari in Hindi for 2025 that will help you articulate your feelings about commitment and accountability. By exploring these poetic expressions, you’ll find inspiration and insight to navigate your own responsibilities with grace.
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Rishte Zimmedari Shayari
Ghar ki jimmedari shayari beautifully expresses the deep feelings and responsibilities tied to home life. These poetic verses highlight the love, care, and duties that come with maintaining a family and creating a warm environment.
लड़कियों अपनी ख्वाहिशे माँ
को ही बताती है
ससुराल में तो सिर्फ वो जिम्मेदारियां
निभाती है।
हमें अपने आप को नहीं अपनी
जिम्मेदारियों को गंभीरता
से लेना चाहिए।
गर्मी बहुत थी दोस्तों अपने भी
खून में पर
घर की जिम्मेदारियों ने झुकना
सिखा दिया।
जिम्मेदारियों को उठाने से क्यों
घभराते हो
जिंदगी में यही तो इंसान को
हुन्नरमंद बनाता है।
उदा देती है नींदे कुछ जिम्मेदारियां घर की
रात में जगने वाला हर कोई शख्स
आशिक नहीं होता।
दूनिया की सबसे बेहतर दवाई है
जिम्मेदारी
एक बार पि लीजिये साहब जिंदगी
भर थकने नहीं देगी।
रैक आपको विशेषाधिकार या
शक्ति नहीं देती
ये आपके ऊपर जिम्मेदारी डालती है
जिम्मेदारी लेना मुसिबत
की बात नहीं
बल्कि आज़ादी की घोषणा है।
कुछ इसलिए भी ख्वाईशो को मार देता हूँ
माँ कहती है घर की जिम्मेदारी है
तुझ पर।
बहाने बनाना बद करो दो
जिम्मेदारी लेना शुरू करो।
जिन्हे अपनी जिम्मेदारी समझ आ जाती है
उन्हें जिंदगी में परेशानियां दूर तक
नजर नहीं आती है।
मजबूरियाँ देर रात तक जगाती है
साहेब और
जिम्मेदारियां सुबह जल्दी उठाती हे।
जिम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
सालों तक त्योहार माँ ने एक ही साड़ी में मनाए हैं….
विरासत में हमेशां जागीर और सोना चांदी
नहीं मिलते जनाब
कभी कभी जिम्मेदारियां भी मिल जाती है।
जिम्मेदारियों से अब बदन टूटने सा लगा है,
क्यूँ न ख्वाहिशों की अंगड़ाई ली जाए….
छोटी उम्र में भी अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं,
ज़िम्मेदारियाँ हों सर पे तो बच्चे बड़े हो जाते हैं।
इक उम्र ख्वाहिशों के लिए भी नसीब हो,
ये वाली तो बस…. जिम्मेदारियों में ही गुज़र गई….
क्या बेचकर हम खरेदें तुझे ऐं ज़िन्दगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाज़ार में
जिम्मेदारियों ने ख्वाहिशों के कान में ना जाने क्या फुसफुसाया,
कि ख्वाहिशें, झुर्रियां और जिम्मेदारियां जवाँ हो गयी….
ख्वाहिशें जैसे कोई पतंग हों,
जिम्मेदारियां जब कंधे पर आती हैं
तो हम उन्हें हवा में भी उड़ान सीख जाते हैं
Jimmedari Shayari in Hindi
जिम्मेदारी मजबूरी शायरी reflects the deep emotions and struggles people face when balancing their duties and personal desires. These poetic expressions capture the essence of feeling trapped by responsibilities while yearning for freedom and self-exploration.
खुद को खुश रखना ये आपकी
एक बहुत बड़ी
क्या खूब मज़बूरी हे गले में
लगे पेड़ो को
हरा भी रहना है और बढ़ना भी हे..
गरीबी पर शायरी
जिम्मेदारी चेहरे की रंगत बदल देती हे
शोक से तो कोई शख्स बुजा
नहीं रहता।
अपनी जिम्मेदारियां से भागने
वाला व्यक्ति कभी श्रेस्ठ
नहीं बन सकता।
शोहरत बेशक चुपचाप गुजर जाये
कमख्त बदनामी बड़ा
शोर मचाती है…
छोटी भी है बड़ी भी है
ऐसी हज़ारो जिम्मेदारियां है
इसलिए तो हमें सिर्फ चाय से यारी है,
जीवन बदलने वाली शायरी
बस मेरी ख़ुशीया में हिस्सेदारी
कर लेना तुम
सारे गमो की जिम्मेदारी में ले लूंगा।
जब जिम्मेदारियां कंधो पे आती है
तब पता चलता हे
जिन्दगी क्या चीज है।
जब जिम्मेदारियां बड़ी होती है
तब कोई काम छोटा या
बड़ा नहीं होता।
क्या बेचकर खरीदे फुरसत तुजसे
ए जिंदगी
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है।
दुनिया वालो ने बहुत कोशिश की
हमें रुलाने की
मगर उपर वाले ने जिम्मेदारी उठा रखी है
हमें हँसा ने के लिए…..
जिम्मेदारियां के आगे कई बार
सपने हार जाते है।
Jimmedari Shayari 2 Line Hindi
“Jimmedari Shayari 2 line Hindi” beautifully captures the essence of responsibility and duty in a few impactful words. These short couplets express deep emotions and thoughts, making them relatable to anyone navigating the challenges of life.
जिम्मेदारियों का बोझ पीठ पर पसीना दे जाएगा,
दिल तुम्हारा कभी मचलेगा जब बारिश में भीगने को….
ज़रूरतें, जिम्मेदारियां, ख़्वाहिशें..
यूँ ही तीन हिस्सों में दिन गुज़र जाता है….
ज़िन्दगी ने बहुत कौशीशें की मुझे रुलाने की,
मगर डमरूवाले ने जिम्मेदारी उठा रखी है मुझे हँसाने की….
ये जो जिम्मेदारियां हैं ना बड़ी बद्तमीज़ हैं,
ख़्वाहिशों को कैसे समझौतों में बदल देती हैं….
एक मल युद्ध चल रहा है मन मस्तिष्क में मेरे,
जिम्मेदारी ने धोबिपछाड़ दी है इच्छाओं को मेरे
ये जो जिम्मेदारियां हैं ना बड़ी बद्तमीज़ हैं,
ख़्वाहिशों को कैसे समझौतों में बदल देती हैं….
एक मल युद्ध चल रहा है मन मस्तिष्क में मेरे,
जिम्मेदारी ने धोबिपछाड़ दी है इच्छाओं को मेरे
ज़रूरतें, जिम्मेदारियां, ख़्वाहिशें..
यूँ ही तीन हिस्सों में दिन गुज़र जाता है….
ज़िन्दगी ने बहुत कौशीशें की मुझे रुलाने की,
मगर डमरूवाले ने जिम्मेदारी उठा रखी है मुझे हँसाने की….
जिम्मेदारियों का बोझ पीठ पर पसीना दे जाएगा,
दिल तुम्हारा कभी मचलेगा जब बारिश में भीगने को….
काम होता तो कब का ख़त्म हो चुका होता,
ये जिम्मेदारी ही है, जो बढ़ती ही जा रही है….
कंधा झुका हुआ है मेरा, लेकिन उम्र बड़ी नहीं है..
आज समझ में आया, जिम्मेदारी से बड़ा कोई बोझ नहीं है….
दिल कहता है मर जाऊँ तेरी जुदाई में,
पर जिम्मेदारियों ने मेरे हाथ जकड़ रखे हैं….
चिथड़े चिथड़े होकर रह गई सारी ख़्वाहिशें,
जिम्मेदारियों की ज़ोर आज़माईश के चलते….
जबसे जिम्मेदारियों को मैंने अपना माना है,
मेरे कुछ शौक़ मुझे क़ातिल समझ कर बैठे हैं
समंदर से ख़ामोश रहकर उठाता हूँ जिम्मेदारी,
वरना शहर डुबोने का सलीका तो हम भी जानते हैं….
मोहब्बत करने वाले हज़ार मिल जायेंगे,
मानेंगे तब जब आप जिम्मेदारी निभाएंगे।
जश्न ए रोज़गार अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था,
वज़्न-ए-जिम्मेदारी ने कंधा पकड़ लिया….
जिम्मेदारी बढ़ने तो दो जनाब,
ख़्वाहिशें खुद बा खुद खुदकुशी कर लेंगी….
Ghar ki Jimmedari Shayari
इस तरह की शायरी में गहरी भावनाएँ होती हैं, जो हमें मजबूरियों के बावजूद भी आगे बढ़ने का हौंसला देती हैं। मजबूरी घर की जिम्मेदारी शायरी हमारे जीवन के कठिन पलों को सरलता से बयां करती है, जिससे हम अपनी स्थिति को समझ पाते हैं।
ताउम्र लगे रहे जिम्मेदारी निभाने को,
बस अपना ख़्वाब ही पूरा न कर सके….
कसे रहती हैं जेबों को रोज़ नई ज़िम्मेदारियाँ उनकी,
मुमकिन नहीं कि उस पिता की कोई ख़्वाहिशें न हो….
कुछ जिम्मेदारी कुछ सपनों ने जल्दी जगा दिया,
आज तो थोड़ी देर तक सोने का इरादा था मेरा
न जाने क्यूँ बंध जाते हैं ज़िम्मेदारियों के बीच,
कभी अपनी ख़ुशियों के बारे में जब सोचना चाहते हैं हम….
पकड़ लो हाथ मेरा.. हर तरफ भीड़ बहुत सारी है,
मैं खो ना जाऊँ कहीं.. ये जिम्मेदारी तुम्हारी है
जिम्मेदारी चेहरे की रंगत बदल देती है,
शौक़ से तो कोई शख़्श बुझा बुझा नहीं रहता
अभिलाषाएँ सारी मार देनी हैं
हमें जिम्मेदारियों की कतार लेनी है
फूलों ज़रा दूर दूर ही रहना
हमें काँटों की अभी बौछार लेनी है
बेफिक्री और जिम्मेदारी,
दोनों रात भर जगती रहीं….
किसी की ज़िन्दगी भाग रही थी,
किसी को ज़िन्दगी भगा रही थी
पंछी बनकर खूब उड़े हो अब
पिंजरे में रहने की बारी है
सिर्फ डॉक्टर और सरकार नहीं
सुरक्षा तुम्हारी खुद की भी जिम्मेदारी है
ख्वाहिशें जैसे कोई पतंग हों,
जिम्मेदारियां जब कंधे पर आती हैं
तो हम उन्हें हवा में भी उड़ान सीख जाते हैं
मुस्कान हमारी जिम्मेदारी है उनकी
मुस्कान हमारी उनकी कर्ज़दार भी तो है
वो हँसायें हमें और हम हँस ना पायें
मुस्कान हमारी उन पर निसार भी तो है
जिम्मेदारी ही बहुत है
एक इन्सान को शैतान
और एक शैतान को इन्सान बनाने के लिए।
दिल मेरा भी रो रहा था, आँखें उसकी भी नम थीं,
बिछड़ते लम्हें बहुत थे बोझिल, टीस सीने में न कम थी,
मुझे डराती थी लोक-लाज.. उसके सिर जिम्मेदारी
अलग होना ही था मुनासिब, प्यार से ज़रूरत अहम थी
वो दर्द की रात बड़ी भारी थी
खाली था पेट और सर पर बारिश दोधारी थी
कहाँ जाता वो बचपन रेंग कर,
उम्र से बड़ी उसकी जिम्मेदारी थी….
जिम्मेदारियों ने ख्वाहिशों के कान में ना जाने क्या फुसफुसाया,
कि ख्वाहिशें, झुर्रियां और जिम्मेदारियां जवाँ हो गयी….
पकड़ लो हाथ मेरा प्रभु,
जगत में भीड़ भारी है….
कही मै खो नही जाऊं,
जिम्मेदारी ये तुम्हारी है….
इक उम्र ख्वाहिशों के लिए भी नसीब हो,
ये वाली तो बस…. जिम्मेदारियों में ही गुज़र गई….
क्या बेचकर हम खरेदें तुझे ऐं ज़िन्दगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाज़ार में
In this article, we explored the essence of Jimmedari Shayari, a beautiful way to express the importance of responsibility through poetry. With over 150 new Shayari for 2025, these verses capture the emotions and thoughts surrounding our duties in life. Whether you want to inspire yourself or share these poetic expressions with others, they offer a unique perspective on taking charge of our actions. By incorporating these Shayari into your daily conversations, you can spread awareness about the significance of responsibility.








