दर्द वह एहसास है जिसे शब्दों में कहना आसान नहीं होता, लेकिन शायरी उसे आवाज़ दे देती है। दिल में छुपे जज़्बातों को सामने लाने का सबसे सच्चा माध्यम है Dard Shayari In Hindi। यहाँ आपको मिलेंगी गहराई से महसूस होने वाली Dil Ka Dard Shayari, छोटी लेकिन असरदार Dard Shayari 2 Line, और भावनाओं से भरी Dard Shayari Hindi। ये शायरियाँ प्यार, किस्मत और ज़िंदगी से जुड़े उन दर्दनाक पलों को बयान करती हैं, जिन्हें हम अक्सर खामोशी में सहते रहते हैं।
Dard Shayari In Hindi
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारागर
ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
हाथ फैलाऊँ मैं ईसा-नफ़सों के आगे
दर्द पहलू में मिरे है मगर इतना भी नहीं
मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनत
मैं चेहरों के जंगल का सन्नाटा हूँ
दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
हाए इस दर्द की दवा क्या है
इक दर्द हो बस आठ पहर दिल में कि जिस को
तख़फ़ीफ़ दवा से हो न तस्कीन दुआ से
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
दर्द में ढल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
दर्द कैसा जो डुबोए न बहा ले जाए
क्या नदी जिस में रवानी हो न गहराई हो
रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया
तेरे जल्वों का असर याद आया
दिल का सारा दर्द सिमट आया है मेरी पलकों में
कितने ताज-महल डूबेंगे पानी की इन बूँदों में
उल्फ़त के बदले उन से मिला दर्द-ए-ला-इलाज
इतना बढ़े है दर्द मैं जितनी दवा करूँ
Dard Shayari Hindi
क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई
तुम दिल में हो तो दर्द हमारे जिगर में है
तुम थे तो हर इक दर्द तुम्हीं से था इबारत
अब ज़िंदगी ख़ानों में बसर होने लगी है
एक दिल है कि नहीं दर्द से दम भर ख़ाली
वर्ना क्या क्या नज़र आए न भरे घर ख़ाली
बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है
वो दर्द दिल में दे कि मसीहा कहें जिसे
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दिल मिरा दर्द के सिवा क्या है
इब्तिदा ये तो इंतिहा क्या है
आह वो दिल कि जिसे दर्द की लज़्ज़त न मिली
हाए वो दर्द कि जिस का हुआ अरमाँ मुझ को
ख़िरद ढूँढती रह गई वजह-ए-ग़म
मज़ा ग़म का दर्द आश्ना ले गया
मिरी आरज़ू-ए-रुसवा न छुपेगी ‘होश’ मुझ से
कि मिरी निगाह में है मिरे दर्द का फ़साना
तबीबों की तवज्जोह से मरज़ होने लगा दूना
दवा इस दर्द की बतला दिल-ए-आगाह क्या कीजे
लाखों ही बार बुझ के जला दर्द का दिया
सो एक बार और बुझा फिर जला नहीं
दर्द तू मेरे पास से मरते तलक न जाइयो
ताक़त-ए-सब्र हो न हो ताब-ओ-क़रार हो न हो
Dard Shayari 2 Line
सुब्ह-दम सह्न-ए-गुलिस्ताँ में सबा के झोंके
आतिश-ए-दर्द-ए-मोहब्बत को हवा देते हैं
बड़ी मुश्किल से आ के बैठा हूँ
दर्द उठते हैं मत उठाएँ मुझे

ऐ मोहब्बत तुझे ख़बर होगी
दर्द उठ उठ के ढूँढता क्या है
बे-कसी के दर्द ने लौ दी जल उट्ठा इक चराग़
रफ़्ता रफ़्ता उस से फिर सारा जहाँ रौशन हुआ
‘बेदी’ मरीज़ दिल का हूँ और दर्द का सफ़ीर
मर जाऊँगा न उस ने अगर देख-भाल की
किया दर्द-ओ-ग़म ने मुझे ना-उमीद
कि मजनूँ को ये ही थीं बीमारियाँ
दर्द हो जिस में हिकायत है वो ख़ूब
जो हो रंगीं वो फ़साना अच्छा
शीशा-सिफ़त थे आप और शीशा-सिफ़त थे हम
बिखरे हुए से आप हैं बिखरे हुए से हम
सोचते हैं कि बरी ख़ुद को करोगे कैसे
हम न बोलेंगे मगर दर्द सुनाई देंगे
शब-ए-माह में जब भी ये दर्द उठा कभी बैत कहे लिखी चाँद-नगर
कभी कोह से जा सर फोड़ मरे कभी क़ैस को जा उस्ताद किया
उस ने मेरी शाख़ों को इस तरह नुमू बख़्शी
ज़ख़्म के खिलेंगे फूल दर्द का चमन होगा
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही
दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही
वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
Zindagi Dard Shayari in Hindi
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता
किस से जा कर माँगिये दर्द-ए-मोहब्बत की दवा
चारा-गर अब ख़ुद ही बेचारे नज़र आने लगे
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का ‘शकील’
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
Pyar Me Dard Shayari
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे
वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता
दर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले

कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते
दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए
ज़िंदगी बे-मज़ा न हो जाए
नावक-ए-नाज़ से मुश्किल है बचाना दिल का
दर्द उठ उठ के बताता है ठिकाना दिल का
हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई
आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो
हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो
हाए जिगर में दर्द है हाए जिगर को क्या करूँ
हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
दिलों को दर्द से आबाद रखना चाहते हैं
दुश्मन-ए-जाँ ही सही साथ तो इक उम्र का है
दिल से अब दर्द की रुख़्सत नहीं देखी जाती
Dukh Dard Shayari
अब मिरी बात जो माने तो न ले इश्क़ का नाम
तू ने दुख ऐ दिल-ए-नाकाम बहुत सा पाया
कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया
चारागरों ने और भी दर्द दिल का बढ़ा दिया
करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रुजूअ
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था
दर्द हो दुख हो तो दवा कीजे
फट पड़े आसमाँ तो क्या कीजे
दर्द का ज़ाइक़ा बताऊँ क्या
ये इलाक़ा ज़बाँ से बाहर है
‘जौन’ जुनूब-ए-ज़र्द के ख़ाक-बसर ये दुख उठा
मौज-ए-शिमाल-ए-सब्ज़-जाँ आई थी और चली गई
दम-ब-दम उठती हैं किस याद की लहरें दिल में
दर्द रह रह के ये करवट सी बदलता क्या है
ये दर्द है हमदम उसी ज़ालिम की निशानी
दे मुझ को दवा ऐसी कि आराम न आए
दर्द का फिर मज़ा है जब ‘अख़्तर’
दर्द ख़ुद चारासाज़ हो जाए
मरज़-ए-इश्क़ को शिफ़ा समझे
दर्द को दर्द की दवा समझे
सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
Dil Ka Dard Shayari
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर क्या हो
जानता कौन है पराई चोट
हम आज राह-ए-तमन्ना में जी को हार आए
न दर्द-ओ-ग़म का भरोसा रहा न दुनिया का
हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना
दिल से दर्द उठता है पहले कि जिगर से पहले
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए
इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है
ऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते
दर्द-ए-दिल क्या बयाँ करूँ ‘रश्की’
उस को कब ए’तिबार आता है
लज़्ज़त-ए-दर्द मिली इशरत-ए-एहसास मिली
कौन कहता है हम उस बज़्म से नाकाम आए
दुख दे या रुस्वाई दे
ग़म को मिरे गहराई दे
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा
कुछ ऐसे ज़ख़्म भी दर-पर्दा हम ने खाए हैं
जो हम ने अपने रफ़ीक़ों से भी छुपाए हैं
अब के सफ़र में दर्द के पहलू अजीब हैं
जो लोग हम-ख़याल न थे हम-सफ़र हुए
दर्द बिकता नहीं बाज़ार-ए-जहाँ में वर्ना
जान तक बेच के लेता मैं तिरे दिल के लिए
Painful Shayari in Hindi
आदत के ब’अद दर्द भी देने लगा मज़ा
हँस हँस के आह आह किए जा रहा हूँ मैं
दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
मैं ने जब की आह उस ने वाह की

दिल में इक दर्द उठा आँखों में आँसू भर आए
बैठे बैठे हमें क्या जानिए क्या याद आया
दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
इंतिहा ये है कि ‘फ़ानी’ दर्द अब दिल हो गया
रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा
अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो
एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी
दर्द बे-चारा परेशाँ है कहाँ से निकले
ऐसा न हो ये दर्द बने दर्द-ए-ला-दवा
ऐसा न हो कि तुम भी मुदावा न कर सको
इक दर्द-ए-मोहब्बत है कि जाता नहीं वर्ना
जिस दर्द की ढूँडे कोई दुनिया में दवा है
रंज-ओ-ग़म दर्द-ओ-अलम ज़िल्लत-ओ-रुसवाई है
हम ने ये दिल के लगाने की सज़ा पाई है
हादसों की मार से टूटे मगर ज़िंदा रहे
ज़िंदगी जो ज़ख़्म भी तू ने दिया गहरा न था
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई
लब पर उस के नाम था तेरा जब भी दर्द शदीद हुआ
आने वाली है क्या बला सर पर
आज फिर दिल में दर्द है कम कम
बड़ी ही कर्बनाक थी वो पहली रात हिज्र की
दोबारा दिल में ऐसा दर्द आज तक नहीं हुआ
Hasi ke Piche ka Dard Shayari
इस में कोई मिरा शरीक नहीं
मेरा दुख आह सिर्फ़ मेरा है
इस में कोई मिरा शरीक नहीं
मेरा दुख आह सिर्फ़ मेरा है
गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की
वगरना ज़ख़्म जो उस ने दिया था कारी था
‘ज़ेब’ मुझे डर लगने लगा है अपने ख़्वाबों से
जागते जागते दर्द रहा करता है मिरे सर में
दीदा ओ दिल ने दर्द की अपने बात भी की तो किस से की
वो तो दर्द का बानी ठहरा वो क्या दर्द बटाएगा
रोज़-ए-जज़ा गिला तो क्या शुक्र-ए-सितम ही बन पड़ा
हाए कि दिल के दर्द ने दर्द को दिल बना दिया
रोज़-ए-जज़ा गिला तो क्या शुक्र-ए-सितम ही बन पड़ा
हाए कि दिल के दर्द ने दर्द को दिल बना दिया
की तर्क-ए-मोहब्बत तो लिया दर्द-ए-जिगर मोल
परहेज़ से दिल और भी बीमार पड़ा है
दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे
अब तो ये दर्द की सूरत ही दवा हो जैसे
दर्द-ए-सर है ख़ुमार से मुझ को
जल्द ले कर शराब आ साक़ी
दर्द-ए-दिल से उठा नहीं जाता
जब से वो हाथ रख गए दिल पर
शब के सन्नाटे में ये किस का लहू गाता है
सरहद-ए-दर्द से ये किस की सदा आती है
दर्द-ए-दिल पहले तो वो सुनते न थे
अब ये कहते हैं ज़रा आवाज़ से
किस लिए कम नहीं है दर्द-ए-फ़िराक़
अब तो वो ध्यान से उतर भी गए
ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है
सुन चुके जब हाल मेरा ले के अंगड़ाई कहा
किस ग़ज़ब का दर्द ज़ालिम तेरे अफ़्साने में था
ज़िंदगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तिरा राहगुज़र याद आया
Rishte Apno ka Dard Shayari
हाल तुम सुन लो मिरा देख लो सूरत मेरी
दर्द वो चीज़ नहीं है कि दिखाए कोई
मिरे लबों का तबस्सुम तो सब ने देख लिया
जो दिल पे बीत रही है वो कोई क्या जाने
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है
यूँ ही छन से बोल उठना तो शीशे का दस्तूर नहीं
दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी
मौत आएगी तो ऐ हमदम शिफ़ा हो जाएगी
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते
दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा
आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी
कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझ से
तुम्हारा दर्द कई काम ले गया मुझ से
मिन्नत-ए-चारा-साज़ कौन करे
दर्द जब जाँ-नवाज़ हो जाए
ग़म में कुछ ग़म का मशग़ला कीजे
दर्द की दर्द से दवा कीजे
तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी
तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे
ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को
सोचता हूँ कि कहूँ तुझ से मगर जाने दे
दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है
तल्ख़ियाँ इस में बहुत कुछ हैं मज़ा कुछ भी नहीं
ज़िंदगी दर्द-ए-मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरी
मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता
जब भी दो आँसू निकल कर रह गए
दर्द के उनवाँ बदल कर रह गए
पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश
मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया
जब भी दो आँसू निकल कर रह गए
दर्द के उनवाँ बदल कर रह गए
इश्क़ उस दर्द का नहीं क़ाइल
जो मुसीबत की इंतिहा न हुआ
इश्क़ को दीजिए जुनूँ में फ़रोग़
दर्द से दर्द की दवा कीजिए
जो ज़ख़्म देता है तो बे-असर ही देता है
ख़लिश वो दे कि जिसे भूल भी न पाऊँ मैं
इस दर्द का इलाज अजल के सिवा भी है
क्यूँ चारासाज़ तुझ को उम्मीद-ए-शिफ़ा भी है
दर्द मेराज को पहुँचता है
जब कोई तर्जुमाँ नहीं मिलता
Conclusion
उम्मीद है कि यह भावनात्मक संग्रह Dard Shayari In Hindi आपके दिल के बोझ को थोड़ा हल्का कर पाएगा। ज़िंदगी और रिश्तों में दर्द कई रूपों में सामने आता है। इसी सच्चाई को दर्शाती हैं Kismat Zindagi Dard Shayari, मोहब्बत की तकलीफ़ बयान करती Pyar Me Dard Shayari, और मन की पीड़ा को उजागर करती Dukh Dard Shayari। ये शायरियाँ उन एहसासों की आवाज़ हैं, जिन्हें कहना मुश्किल होता है लेकिन महसूस हर कोई करता है।







